The School Weekly 31st January 2022

News & Events
Manmanvendra Singh from the batch 2018-19 participated in NCC Parade at Rajpath, New Delhi in the Republic Day Parade. It is a proud moment for all of us that one of our student has set a benchmark for equipping excellent skills and taking the name of the school at a national level. We wish him all the best for his future endeavors.
26th January - The school celebrated Republic Day with zeal and enthusiasm. 

हमारा गणतंत्र 
इस वर्ष हमने 73 वाँ गणतंत्र दिवस मनाया। कोरोना के संक्रमण के कारण विद्यालय में बच्चों द्वारा कोई प्रस्तुति नहीं दी गई। परंतु विद्यालय स्तर पर ध्वजारोहण प्रधानचार्या जी द्वारा किया गया तथा शिक्षक गण उपस्थित रहे। भारत, विश्व का गौरवशाली गणतंत्र है। गण अर्थात लोगों का, तंत्र यानी शासन। पूर्ण अर्थ है लोगों का शासन। जनता अपने मताधिकार का उपयोग कर स्वयं अपना शासक चुनती हैं। जनता जिसे चाहे नकार सकती है, जिसे चाहे उच्च पद पर प्रतिष्ठित कर सकती हैं। प्रतिवर्ष कई बच्चों नाम मतदाता सूचि में जुड़ते है अर्थात उनको वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि केवल स्वार्थवश या किसी झाँसे में आकर वोट न दें। योग्य व्यक्ति को ही अपना मत देकर देश के कल्याण में भागीदार बने। 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाया जाता है इस दिवस का सन्देश भी यही है कि प्रत्येक मतदाता अपने मत का मूल्य पहचाने। हमारे लिए इन राष्ट्रीय त्योहारों का महत्व और बढ़ जाता है। सार्वजानिक रूप से इन त्योहारों को मानना अत्यावश्यक हो जाता है। विद्यालय स्तर से ही बालक के मन में राष्ट्रीयता की भावना का उदय होना जरुरी है तभी वह देश का एक जिम्मेदार नागरिक बन सकेगा।   
कृष्ण गोपाल  / वरिष्ठ अध्यापक
Republic Day
The School celebrated its 73rd Republic Day on 26th January 2022. Due to the pandemic as school was closed so the students didn’t give any performance on this day. But in the School the Principal Ms. Rajeshree Shihag hoisted the flag in the presence of the faculty, admin & support staff.
Republic Day marks the adoption of the constitution of India and the transition of the country to a republic on 26th January 1950. India got its freedom from British rule on 15th August 1947; but the constitution came into force on 26th January, 1950 and from that day onwards we celebrate this day as Republic Day.
26th January  was the chosen date since it was on this day in 1929 that the Indian National Congress issued the Declaration of Indian Independence (Purna Swaraj), opposing the British Regime's Dominion status. The Constitution establishes fundamental rights that should be enjoyed by all citizens of this country, regardless of their political beliefs. It also establishes some fundamental duties for all citizens of the country to abide by.
It is the duty of each one of us to celebrate this day because it teaches us the value of our constitution & its necessity for good governance. It inspires us to be self reliant & helps us to cherish the thoughts & ideologies of the great personalities of our nation. The constitution has provided the right to equality which helps us to advocate equality among all the classes of the society. This day unites the whole country to celebrate under one roof & portray our national unity & patriotism.
Bharti Rao/ Educator
बालिका दिवस
" बेटिया यूं ही नहीं
खास होती हैं।
   बेटियां तो खुशनुमा 
   एहसास होती हैं।"
हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मानने कि शुरुआत साल 2009 से हुई। केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लड़कियों के साथ भेदभाव और अन्याय होता है। इस बात की गंभीरता को समझते हुए हर साल लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए बालिका दिवस मनाते हैं। देश में लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्ज़ा देना ही इस दिवस का  उदेश्य हैं। समजा में बालिकाओं की असमानताओ को मिटाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाना इस दिवस को मानने का लक्ष्य हैं। बालिकाओं के साथ भेद भाव एक बड़ी समस्या है। जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे, शिक्षा में असामानता,शोषण,कानूनी अधिकार, चिकित्स देख रेख,सुरक्षा, सम्मान,बाल विवाह आदि। 
एक बेटी के  मन की बात ;
मां, पापा आज इस समाज को माना लो, 
किस जूर्म की सजा मुजको दे रहे हो, 
मेरी गर्दन से आपने ये हाथ हटा लो,
मा पापा मुझे जीना हैं मुझे जीने दो, 
जुक जाए ये आसमान कुछ ऐसा काम करुगी गर्व करोगे , जग में नाम रोशन करुगी तुम्हारा।
पापा को नहीं होने दुगी पछतावा ,
उनकी इज्जत हूं और रहूंगी 
उनका गुरूर बनूंगी, उनकी लाढी बनूंगी।
मत मारो में समाज हूं,
मत मारो में अल्फ़ाज़ हूं,
दो लफ्ज़ तुम बोल ना सकोगे,
ऐसी में अल्फाज़ हूं,
मत मारो मुझे मा पापा
मुझे भी जीने हैं।
तुम्हारी नींद का रखूंगी ध्यान, सबसे पहले,
 वादा हैं भुक से कभी नहीं रहूंगी।
पढ़ाई कर लूंगी खुद से स्कूल के पैसे बचा लेना ,
 तन ढक जाए बस इतने कपड़े सिला देना कि 
मा पापा मुझे भी जीना हैं।
इस समाज इन लोगों के खातिर मेरी दुनिया ना उजाड़ो मा पापा, में बोज नहीं हूं मा पापा मूजको ऐसे कोख में ना मारो।
मुझ पर विश्वास भले न हो तुम खुद पर तो विश्वास करो मुझे बचाने के खातिर तुम थोड़ी तो हिम्मत करो।
मुझे ऐसे मार दोगे तो बाबा आपको बाबा कोन केह कर पुकारेगा,मा आपको मा कोन कहेगा।
बेटी नहीं रही तो ये बेटा किस संग बिहावेगी,
 बहन नहीं होंगी तो भाई को राकी कोन बंदेगा, अगर बेटियों को ही मार दोगे तो समाज में बचेगा क्या??
आनेवाली दुनिया कैसे अपना आस्तित्व बचाएगी???
बिना नारी ये सृष्टि नहीं चलेगी इस बात को तुम सब ज्ञात लो,
बेटी का अपमान मत करो, मत करो।।
मा पापा मुझे जीना हैं, इस समाज को माना लो।।
सीमा चौधरी / 11व
The Giving Tree
Trees are very pretentious and noble
They are self denial and humble.
They give us their fruits to eat
And their wood to fulfill people's needs.
They give cool shed under them in the hot scorching sun,
And had never asked anything in return.
They are very kind hearted and full of generosity,
After that also we treat them with brutality.
Just cause they can't walk and talk,
We think they aren't alive.
No, 
Trees do have life
They are grown consuming earth's water, minerals and sunlight for years.
Their roots had radiated everywhere in the ground taking several years.
But some people kill them very easily
Without thinking what will happen if there will be no tree? 
O it's a humble request  to those please don't kill the giving tree.
Ritu parihar/ IX A
बालिका शिक्षा पर निबंध:
लड़कियों की शिक्षा हमेशा चर्चा का विषय रही है। प्राचीन समय से, लड़कियों को कमजोर माना जाता है और इस प्रकार उन्हें घर पर रहने और घरेलु मुद्दों का ध्यान रखने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है; लड़कियाँ आज अपने घरों की सीमाओं को पार कर रही हैं और चमत्कार कर रही हैं। जिन लड़कियों को शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, वे अब सेना, नौसेना, वायु सेना, कुश्ती, निशानेबाजी और हर दूसरे क्षेत्र में शामिल होने को तत्पर हैं। लेकिन आज भी, भारत का एक बड़ा वर्ग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर माता-पिता अभी भी लड़कियों को स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं और सदियों पुरानी मानसिकता सबसे बड़े कारणों में से एक है। भारत जैसे देश में जहां बहुसंख्यक लोग दुर्गा, काली, शक्ति, सरस्वती आदि देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, यह देखना वाकई अजीब है कि लड़कियों को अपने फैसले लेने की अनुमति नहीं है। शिक्षा की कमी बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अन्य कई अपराधों के रूप में कई कुप्रथाओं को जन्म देती है। सरकार को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेरित करने के लिए लड़कियों को छात्रवृत्ति, वजीफा, प्रमाण पत्र, आदि प्रदान करना। स्कूल से दूरी कम करने से न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि माता-पिता को भी अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि युवा लड़के और पुरुष सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में चर्चा में शामिल हों; इस तरह की चर्चाएँ महिलाओं के प्रति पुरुष की रूढ़िवादी मानसिकता को बदल सकती हैं। शिक्षा प्रणाली में लड़कियों और युवा महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए, प्राधिकरण को उनके लिए सुरक्षित और समावेशी सीखने का माहौल बनाना चाहिए। संवेदनशील पाठ्यक्रम उनके व्यावहारिक ज्ञान को भी बढ़ाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा। स्कूलों में अधिक से अधिक महिला शिक्षकों को काम पर रखा जाना चाहिए यह लड़कियों को कठिन अध्ययन करने और अपने शिक्षक के पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा। सरकार को जल्दी बाल विवाह को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ये सभी और कई अन्य कदम निश्चित रूप से माता-पिता में भी जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाते हैं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने और एक स्वतंत्र व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करेंगे।
जया बावल / कक्षा - X A
Beauty of the Inner World
Whenever we talk about the outer world there are few pictures which come in front of our eyes of our friends, family, job, money and many other materialistic things. But it is very rare when we talk about the inner world, the world of peace, the world of happiness. Most people do not know the beauty of interacting with the inner world.
Interacting with the inner world means interacting with yourself. Before getting interactive with others we should first interact with ourselves because this will let us know about our peace of mind, our strengths of holding emotions, it also gives us spiritual calmness.
 When we are tired of dealing with this hectic world then this spiritual need helps us to make ourselves calm in the era of frustration.  It is very important to maintain both the world equally, only then we can live our life happily.
 If inside your soul a big conflict is going on, even if you are pretending to be happy from outside then it is not good for you; because happiness can't be pretended. Happiness is a mode which occurs automatically by the Vibes of inner peace .so, we need to understand the mode of true happiness.
I know in today's world people don't have time for self interaction but it is important because money and materialistic things can't buy inner peace. But mostly what happens, people don't show their interest in this and start suffering through depression and many psychological problems.
Sanyogita Ranawat / X A
हमारे त्योहार और उनके महत्व
http://importanceofstuff.com/festivals
भारत त्योहारों का देश हैं जहाँ पूरे साल अलग अलग त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत में सभी धर्मों के लोग अपना त्योहार एक साथ मिल-जुलकर मनाते हैं। भारत में सभी त्योहार खुशी और जुनून के साथ मनाए जाते हैं। जैसे- दिवाली, होली, गणेश चतुर्शी, रक्षाबंधन, मकर संक्रान्ति आदि। दिवाली एक धार्मिक त्योहार है जो "अन्धकार पर प्रकाश की विजय" को दर्शाता है। होली 'रंगों का त्योहार हैं जो बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक शामिल हो कर धूम धाम से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप मे मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी वैसे तो भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक है। रक्षा बंधन का त्योहार भाई को अपनी बहन के प्रति कर्तव्य याद दिलाता है।इस त्योहार को केवल सगे भाई-बहन ही नहीं बल्कि कोई भी पुरुष - महिला मना सकते हैं। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य की पूजा करते हैं।त्योहार जीवन को खूशहाल व रिश्तों को मजबू बनाता है। त्योहार लोगो के मन मे नई उम्मीद भर जाते हैं। यही कारण है कि त्योहार के अवसर सभी मानव खुशी से झूम उठते है।
दिव्यांशी सिंह / कक्षा- 6th
केला 
1. केले से हमारी सेहत अच्छी रहती हैंl
2. केला एक अच्छा फल हैl
3. केला पीले रंग का होता है।
4. केला  कच्चा भी होता है पक्का भी होता है।
5. कच्चे केले की सब्जी बनाई जाती है। 
संस्कार सीरवी  / कक्षा प्रथम

Volume No. 501 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Swabhi Parmar, Ms. Jyoti Sain, Mr. Arvind Singh, Pushpendra Singh Ranawat, Tamanna Solanki, Kritika Rajpurohit, Kanak Gehlot, Kunal Rajpurohit, Harshit Rajpurohit, Ronak Deora, Mohammad Anas.

The School Weekly 24th January 2022

On the occasion of Nation Girl Child Day, we reiterate the mission of our school which focuses on creating equal opportunities for girls in the field of education. The school has been striving since 1992 to support, strengthen and empower girls for a meaningful and ambitious life.

Do listen to Ms Bimla Bissell, the wife of Fabindia’s founder, the late John Bissell, on her views and aspirations for the girl child.

Empowering girl child through education at The Fabindia School


How I got empowered
My name is Swabhi Parmar and I completed my schooling from The Fabindia School in 2013.I joined the school back in 2006, The moment I drove up to The Fabindia School I knew this was going to be the school for me. Not only did I love the atmosphere, my mother loved it too. The school is on a nature reserve which makes the learning environment a peaceful and beautiful place to learn and study. Each and every teacher I had not only taught us the syllabus that I understood, but they also all taught us morals and how to be upstanding citizens. 
I'd also like to mention that I was a scholarship student for the entirety of my education at The Fabindia School. It was an honour for me and many other girls. "Empowering the girl child through education" was the school's motto. It gave the school's female students a lot of opportunities. As a student, the school taught me life lessons, and co-curricular activities aided in my overall development. And today, I am glad to tell that I have been employed as an educator at The Fabindia School for the past four years. From a student to an educator, it's been an incredible experience. The Fabindia School is not your typical school. I considered it my safe haven.  If I could give any advice to parents or students considering this school, take advantage of the wonderful opportunities that The Fabindia School has to offer.
Swabhi Parmar
Ex- Student and Educator

My Life Journey
Twelve years I was cut off from all kinds of educational activities, it was a tough time to be disconnected from the things I loved and enjoyed. I worked as a housewife looking after my kids, in-laws and the other family members. It was contentment to be able to look after your family but my passion to do something about my educational persuasions and my eagerness to learn more & more was equally bothering me. I was sure that some day I will be able to make my way through. My motto was, ‘Where there is a will there's a way’ and that did not allow me to lose hope. The ray of hope along with my strong will power, positive attitude & confidence helped me to find my way out. My passion for reading helped me to keep in touch with my studies.
As a girl child I had faced many challenges. I come from a society where girls are only given elementary education. Everyone opposed that I should drop out after eighth but because my parents supported not just standard eighth but I am an alumnus of Sophia High School. Then I completed my graduation from MLSU, Udaipur. I did my post graduation in English & B. Ed. from IGNOU, New Delhi.
Troubles didn’t stop here, to take up a job was like climbing Mt. Everest but I patiently overcome this obstacle too . I wanted to do something for the girl child. I wanted to help the girl child of the rural area and when I heard about The Fabindia School & its motto to empower girl child through education I thought I could do something for the girl child and so I joined The Fabindia School in 2004 as I wanted to work for my own growth and work for the all round development of the students.
As time passed I have groomed my personality & have also learnt a lot. I with the Fabindia team, have also worked a lot in creating a healthy learning & quality environment for the students. To develop core skills in the students we established a platform in 2012 where the students could express their ideas & creativity. This is where the journey of the School Weekly started. The School Weekly all these years have been instrumental in building peer-to-peer relationships, shaping their perspectives, opinions & identity.
Since 2012, the Editorial Board of the School has put together 499 editions and we celebrate our 500th edition on 24th January 2022.
Thanks to all who contributed enthusiastically in keeping this platform alive and rockin. With time the weekly has become more creative & nurtured the skills of the students. The young minds are bubbled with fresh ideas and the weekly was the best way to capture it in a creative manner. The weekly has played a pivotal role & built communication between all stakeholders.
Bharti Rao/ Educator

My Experience 
It was 2006 when I entered the gates of The Fabindia School, I was so happy and keen to join this new school as every kid is, got new books, bag and notebooks.  All my note book had the name of the school written on them, “The Fabindia School” but these notebooks had something had something very different and unique too, below the name of school there is a line written 'Empowering the girl child through education’ I was quite baffled at that point of time that what does it mean! Then as days passed on I got to know that, this was and is the motto of the school. As Bali happens to be rural part of Rajasthan this school was conceptualised with a motto of empowering the girl child. Earlier girl child was not given that much of chance to study, so with this vision the school tries to empower and encourage girls to study. 
This might looks very fancy to see or hear but when it's come to the execution it’s not that easy, to make this possible the school used to wave off full fees so that the parents could afford education for their girls too. This is to encourage the locals to send their girl child to get better education . Empowering  is a process enabling individuals to understand the relationship between their actions and outcomes, allowing people the power to achieve the results they desire. School got tremendous success as the admission ratio was 1:1 at a point of a time and I was so happy to see the vision taking the shape and happy to be part of this beautiful and courageous family as an alumnus and an educator at the school.
Arvind Singh Sonigara

यह 2006 की बात है जब मैंने स्कूल में प्रवेश किया, मैं बहुत खुश था और हर बच्चे की तरह नए स्कूल में प्रवेश करने के लिए उत्सुक था, मुझे नई किताबें, बैग और नोटबुक मिलीं और द फैबइंडिया स्कूल में स्कूल के नाम के नीचे हर नोटबुक पर एक लाइन लिखी हुई थी।  उस समय की दृष्टि हो या आदर्श वाक्य हो, लेकिन मेरे लिए यह नई बात थी कि वह 'शिक्षा के माध्यम से बालिकाओं को सशक्त बनाना' था। मैं उस समय काफी हैरान था कि इसका क्या मतलब है, जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मुझे पता चला कि इस ग्रामीण क्षेत्र में यह स्कूल बालिकाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से खोला गया है, क्योंकि पहले बालिकाओं को इतना  मौका नहीं दिया जाता था।  इस आदर्श वाक्य के साथ अध्ययन करने का मौका स्कूल उन्हें सशक्त बनाने और प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।  अब यह देखने, पढ़ने और सुनने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन जब इसे अमल में लाने की बात आती है तो यह इतना आसान नहीं है, इसलिए इसे संभव बनाने के लिए एक नियम मौजूद है, मुझे याद है कि लड़कियों को केवल 50% फीस देनी होती है।  यह स्थानीय लोगों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपनी बच्चियों को भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए है।  सशक्तिकरण एक प्रक्रिया है जो व्यक्तियों को उनके कार्यों और परिणामों के बीच संबंधों को समझने में सक्षम बनाती है, जिससे लोगों को उनके इच्छित परिणाम प्राप्त करने की शक्ति मिलती है। स्कूल को जबरदस्त सफलता मिली क्योंकि एक समय में प्रवेश अनुपात 1: 1 था और मैं बहुत खुश था  इस सुंदर, विस्तृत और साहसी परिवार का हिस्सा बनने के लिए दृष्टि को आकार लेते और खुश होते देखने के लिए।
चाहे दौलत हो या शोहरत , भरपूर हो  ✅
हर एक आँगन में इक बेटी जरूर हो  ✨।
अरविंद सिंह सोनीगरा

साप्ताहिकी की यात्रा 
वर्ष 2012 से नियमित रूप से स्कूल साप्ताहिकी (Weekly) का प्रकाशन होता आया है। साप्ताहिकी में सप्ताह भर की आयोजित गतिविधियों का लेखा रहता है। खेल की उपलब्धि हो या विज्ञान के प्रयोग या कोई अन्य प्रतियोगिता। स्कूल में विषयवार सप्ताह आयोजित होते है जैसे- हिंदी सप्ताह, विज्ञान सप्ताह, अंग्रेजी सप्ताह इत्यादि इन विषयवार सप्ताह में उस विषय से संबंधित कई आयोजन होते है तथा इन आयोजनों में प्रतियोगिताएँ भी होती है। विजेता छात्र-छात्राओं की जानकारी साप्ताहिकी के द्वारा प्रसारित होती है। इससे विद्यार्थी भी गर्वान्वित महसूस करते है। समय-समय पर विद्यालय में किन-किन कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, इसकी जानकारी साप्ताहिकी के द्वारा अभिभावकों तक भी पहुँचती है। अध्यापकों और  विद्यार्थियों के विचार आलेख के रूप में साप्ताहिकी में स्थान पाते है। 
इस साप्ताहिकी का प्रकाशन अध्यापकों द्वारा किया जाता था किन्तु वर्तमान में इसके सम्पादकीय समूह में विद्यार्थियों को अधिक स्थान मिल रहा है। जो विद्यार्थी इसके संपादकीय समूह से जुड़े हुए है, वे बड़े उत्साह पूर्वक होकर सामग्री का संकलन करते है। एक तरह से कहा जाए कि साप्ताहिकी विद्यालय का आइना है, तो असमंजस नहीं होगा। विद्यार्थी स्वयं संवाददाता की भूमिका निभाता है, ऐसी स्थिति में साप्ताहिकी में केवल उन्ही कार्यों को स्थान मिलता है, जो वास्तविकता में आयोजित हुए है। छोटे-छोटे बालक-बालिकाएँ भी अपनी कलम से कुछ लिखते हैं तो उसे साप्ताहिकी में स्थान मिलता है। कई बालक चित्रकारी में कुशल होते हैं उनकी कला का प्रदर्शन इसी साप्ताहिकी के पटल पर होता है। 
समय-समय पर साप्ताहिकी में आवश्यकतानुसार बदलाव होते रहे है। जैसे-जैसे तकनिकी के क्षेत्र में वृद्धि हुई वैसे-वैसे बदलाव भी आते गए। पहले इस साप्ताहिकी की पहुँच कम लोगों तक थी किंतु अब यह पहुँच अधिक हो रही है। अभिभावकों से भी आग्रह है कि विद्यालय की साप्ताहिकी का अवलोकन अवश्य करें आपको घर बैठे पूरे सप्ताह की जानकारी मिलेगी कि विद्यालय में क्या चल रहा है। 
हमारा विद्यालय प्रारंभ से ही बालिका शिक्षा को बढ़ावा देता आया है। इसके लिए छात्रवृत्ति का भी निर्धारण किया गया है। आवश्यकतानुसार बालिकाओं को इसका लाभ मिलता रहा है। कई बालिकाएँ आज भी छात्रवृत्ति पर अध्ययन कर रही है और कई बालिकाएँ अध्ययन कर उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर हुई है। संभावना थी कि शुल्क देने में असमर्थ बालिकाओं की शिक्षा प्राप्ति की दौड़ बीच में ही रुक सकती थी। अधिकांश अभिभावक बेटे को निजी विद्यालय में पढ़ाते थे लेकिन बेटियों को नहीं। परन्तु फैबइंडिया स्कूल ने उनकी आशाओं को पर लगा दिए ओर इस दौड़ में उन्हें भी पिछड़ने नहीं दिया। इनमें से कई बालिकाओं के आलेख साप्ताहिकी के जरिए पढ़ने को मिले है कि किस प्रकार उन्होंने यहाँ अध्ययन कर आगे भी उपलब्धियाँ अर्जित की। उन्होंने अपने अनुभव साप्ताहिकी में साझा किए हैं, जो अभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्वरूप है। 
कृष्ण गोपाल / वरिष्ठ अध्यापक

एक अनभिज्ञ सफ़र की शुरुआत    
मैने सेकेंडरी कक्षा अन्य विद्यालय से की है। अभी ग्यारहवीं कक्षा में यहां प्रवेश लिया है। ऐसी कोई गतिविधि पहले की स्कूल में नहीं होती थी। अतः मैं इन सब से अनभिज्ञ था। यहां जब editorial board का हिस्सा बना तो पहले तो मैं डर सा गया था की यह क्या चीज है अगर मुझसे कुछ गलत हो गया तो क्या होगा इस तरह के खयाल आने लगे लेकिन अपने आप को संभाला और एक नया अवसर मिला तो यह अवसर ले कर में इन सब बातों से परिचित हो पाया। एक editor ke रूप मे काम करना मेरे लिए सुनहरा अवसर है। नई नई पोस्ट पढ़ना, उनको स्कूल के छात्रों से इकट्ठी करना, किसी को ग्राफिक्स या स्केच के लिए कहना और लिखने के लिए प्रोत्साहित करना एक नया अनुभव है। इसका हिस्सा बनने के कही फायदे है जैसे विभिन्न लेख पढ़ते समय हमारी कल्पना सकती बढ़ती है,  कही काल्पनिक लेखों से हमारी कल्पना और रचना शक्ति में इजाफा होता है, Editing करते समय हिंदी तथा अंग्रेजी के नए नए शब्द देखना यह मेरी शब्दावली को मजबूत करते है और बढ़ाते है तथा व्याकरण को मजबूत करते है, हर वक्त एक नई जानकारी मिलेगी यह सोचकर मन प्रफुल्लित होता है और हफ्ते के पहले ही दिन से weekly का इंतजार करता रहता हूं। एक editor के रूप में एक नई पहचान बनी है विभिन्न शिक्षक और छात्रों से अच्छे संबंध बने। पहले जब कोई कुछ लिखने के लिए देता या बोलता तो कतराता परंतु अब में अपने लेख लिख कर भी अपनी weekly का हिस्सा बनता हूं । इसका हिस्सा बन मुझमें आत्मविश्वास और उत्सुकता की भावना में बढ़ोतरी हुई है, मैं विद्यालय परिवार का हमेशा आभारी रहूंगा कि मुझे यह अवसर प्रदान किया ।
मोहम्मद अनस/ XI Science
साप्ताहिकी की यात्रा
 मैंने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई अन्य विद्यालय से की है । मैं अपने इस विद्यालय में नई छात्रा  हूं पर अब मुझे ऐसा लगता है कि मैं शुरू से इस विद्यालय में ही पढ़ रही थी। क्योंकि यहां के सभी शिक्षक शिक्षिका और मेरे सभी सहपाठियों सबके साथ में घुल मिल गई हूं। मैं हमेशा से ही हर प्रतियोगिता हर तरह की कांपटीशन में हिस्सा लेते आई हूं और लगभग मुझे हर प्रकार की प्रतियोगिता के बारे में जानकारी रही है। परंतु जब मैं फैब इंडिया स्कूल में आई तब मैंने पहली बार वीकली के बारे में सुना था । हमारे स्कूल के ग्रुप में हमारे शिक्षक हर हफ्ते वीकली का पीडीएफ भेज ते थे।मुझे बचपन से ही अलग-अलग प्रकार की चीजें पढ़ने की रुचि रही है , किसी नई चीज के बारे में जानने की उत्सुकता रही है और  जब हमारे शिक्षक हमारी स्कूल के ग्रुप में यह वीकली भेजते तो मैं बहुत ज्यादा उत्सुक थी इसके बारे में जानने के लिए मेरे मन में हर वक्त यही चलता यह वीकली है क्या होता क्या है? मैं चाहती थी कि मैं भी इस वीकली में कुछ लिखूं और मैंने इस वीकली  में अपने आर्टिकल ही नहीं लिखे बल्कि इसकी  एक सदस्य बन गई । पहले शुरु शुरु में मुझे थोड़ी घबराहट थी क्योंकि मेरे लिए वीकली पूरा ही नया था । जब मैं एडिटोरियल बोर्ड की मेंबर बनी तो एक एडिटोरियल के रूप में काम करने के साथ ही‌ मुझे एक अलग ही पहचान मिली । जिसमें मैं अपने स्कूल के बच्चों को अपने मन के विचार लिखने के लिए प्रोत्साहित करती उन बच्चों को मदद करती समझाती कि ऐसा करना ऐसे लिखना और जहां पर भी लिखने में परेशानी आती उन्हें तो मैं उनकी मदद करती। इससे सभी बच्चों ने अपने-अपने विचार लिखना चालू कर दिया। इस एडिटोरियल बोर्ड की सदस्य बनने के कारण मुझे बहुत से बच्चों के बारे में पता चला कि कौन किस में अच्छा है। जैसे कि एक बच्चा बहुत अच्छे चित्र बनाता था मैंने उसे प्रोत्साहित किया और वह  चित्र बनाता गया और हम उसे वीकली में डालते गए। वीकली के कारण बच्चों में छुपी हुई कला का पता चलने लगा। मैंने एटीट्यूड से बहुत कुछ सीखा और अब भी सीख रही हूं और मुझे विश्वास है कि यह मेरे भविष्य में भी कुछ काम आएगा। मुझे बचपन से कुछ नया पढ़ने का शौक रहा है और आज जब वीकली में अलग-अलग पोस्ट आती है तब मैं वे सब पोस्ट पढ़ती हूं। इससे मेरी शब्दावली भी मजबूत होती जा रही है। इसका हिस्सा बन मेरा आत्मविश्वास और मजबूत बन रहा है।  इसके कारण मुझे एक अलग ही पहचान मिल रहीं हैं। मैं अपने  प्रिंसिपल  और अपने शिक्षक की हमेशा आभारी रहूंगी कि उन्होंने मुझे एडिटोरियल बोर्ड का एक सदस्य बनाया।
सीमा चौधरी / XI Science
My experience of being member of editorial board
I had always seen the news weekly sent to my class group. And had also seen some seniors wearing batches of editorial board and I was always curious that what is an editorial board? And then I learned that the editorial board is a group of students and teachers who publish our school weekly. I always wanted to be a part of this group and finally I got this opportunity and became a member of the editorial board. It was completely a new experience for me. I have learned a lot from this place and will continue to learn. Encouraging children to write, reading articles written by them and doing corrections, all the tasks made me develop my writing and reading skills a lot. Earlier, when someone used to ask me to write, then it was very difficult for me, but till now I write my own articles and post them on the weekly, now if someone asks me to write on any topic, it would be easy for me. My view on the editorial board is that it is a place where children get to learn new things. Here students themselves are the editors. It helps in developing responsibility taking skills in students. It also improves my vocabulary as I get to learn new words when I read the posts. I am very grateful to the teachers and principal ma'am for having an editorial board in the school.
Ritu parihar / IX
A Step Of Being Responsible 
I have been studying in The Fabindia School since last 11 years. As I grew up, I have got many opportunities to communicate with people through essays, articles, paintings, sketches, etc. during my primary and middle school. But as I have now entered in high school, I have been getting responsibilities. In 2021, I became one of the member of Editorial Board. Before, I wasn't aware about what actually the Editorial Board is but then I came to know that it is the groups who edit and publish all the news and events of the school for the school weekly. It was really exciting for me. I started collecting articles and some creative art works of the students. I learnt a lot while editing those things. I also learnt to see things in different perspective. I started to know things that didn't know before. It helped me gain knowledge about various things and my vocabulary also improved. I am very beholden to the teachers and Principal Ma'am for providing the students responsibilities regarding the Editorial Board.
Himanshi Rajpurohit / IX 
The Fabindia School - Building careers for tomorrow
I've been a student at The Fabindia School since 2010. My school does a lot for us, including news and weekly events, which are very significant for our future. What does this mean for our future? Yes, it is really significant since it allows us to assess our abilities and determine how good or poor our language is, as well as develop our thinking power.
Also, we can learn about what is going on at our school by reading the news weekly, just as we can learn about what is going on in our country by reading the newspaper. I've been a member of the editorial board for a year and have noticed or felt several changes in myself, such as improved language, writing, and thinking. As a result of this evolution, I propose to all of us that we not only study but also participate in extracurricular activities that will benefit us in the future.
Dhawan Choudhary / IX
Fabindia School : Source of Motivation
I have been studying in the Fabindia school since 2013 . Here students are involved in so many activities and that's the best part of our school. Since the weekly was started in our school in 2012 . As I was a kid I never knew about the weekly. When I was in 7tn or 8th standard. I usually see the articles with the pictures hung on the boards of each block. I always wondered who did all these efforts. Then I came to know that members of the editorial board do all this. I have always seen my seniors wearing badges of the editorial board group, and I always wished to be a part of the editorial group. But when I joined the editorial board's group I was a little nervous and scared that I will able to do all my duties properly and the tasks or not. But while doing all the work I realized that it is not a very big task to do. Our role typically requires a few hours of every week on tasks such as consulting with editors, recruiting authors, or reviewing opinions. While doing all this work we developed so many qualities in us, we felt more responsible and it also became more discipline and communication skills. While weekly is being published each it inspires the children to write because articles are published in weekly with the name of the writer and with their pictures. When other students see weekly it inspires and motivates the students to write.I am very thankful to the Principal ma'am and teachers for giving us the opportunity to be a part of the editorial board group.
Kunjan Kunwar Rathore / Xll

As we celebrate the 500th edition of our News Weekly; the remarkable journey that started with a Newsletter to a weekly. Our students, staff and alumni share their love and laughter with the community to keep them updated with life beyond school. News Weekly has given an exhilarating platform to young writers, editor, composers and publishers to fine tune their skills. Young writer, editors have bloomed into full-fledged bloggers. On this occasion we congratulate our writers and editors for achieving the landmark of 500th edition. We extend our special gratitude to Bharti ma’am for championing the weekly for over a decade, we also extend our gratitude to Monika ma’am and Swabhi ma’am for stepping into the shoes of Bharti ma’am.

Volume No. 500 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Swabhi Parmar, Ms. Jyoti Sain, Mr. Arvind Singh, Pushpendra Singh Ranawat, Tamanna Solanki, Kritika Rajpurohit, Kanak Gehlot, Kunal Rajpurohit, Harshit Rajpurohit, Ronak Deora, Mohammad Anas.

 

The School Weekly 17th January 2022

 
News & Events ‌ 
Monday, 10th January 2022: As per Government guidelines, physical school is closed down till 31st January. Online classes started from 11th January.

 स्वच्छ भारत अभियान 
स्वच्छ भारत अभियान हमारे प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई योजनाओं में से एक है। ये योजना 2 अक्टूबर 2014 में शुरू की गई थी। इसको शुरू करने के पीछे बहुत सी वजह रही जैसे भारत में होने वाला प्रदूषण, शहरों की गलियों में जगह जगह फैला हुआ कचरा आदि। यह गांधीजी की इच्छाओं में से एक थी इसलिए इसकी शुरुआत उनकी जयंती पर हुई। इसका उद्देश्य यह था कि शहरों में सफाई ना होने के कारण गली में घूमने वाले जानवरो को खाना न मिलने के कारण  वे उसी कचरे को खा रहे थे। वही कचरा उड़ते उड़ते नदी में जाता और उसके पानी को दूषित कर रहा था। उस दूषित पानी से नदी में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो रही थी। कचरा बढ़ने के कारण कई लोग उस कचरे को जलाते थे और उससे निकलने वाला धूंआ हवा को प्रदूषित करता। माना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बहुत ही अच्छी योजना निकाली परंतु जितना असर इसका लोगों पर होना चाहिए था  उतना अभी तक हुआ नहीं। लोग ऐसी चीजों को देखकर भी नजरअंदाज कर रहे हैं और उसका नतीजा आपके सामने हैं, दिल्ली में होने वाली समस्या न सिर्फ दिल्ली में है बल्कि दूसरे शहरों का भी यही हाल होगा अगर ऐसे ही चलता रहा तो। हर शहर की गली ,बाजार, रेलवे स्टेशन सभी जगह लोग कचरा फैला रहे हैं। लोग इस बात को समझने की बजाय उसे अनदेखा कर रहे हैं। इसका सहयोग देने के लिए बहुत सी हस्तियों ने उसका साथ दिया था।
हिमांशी राजपुरोहित / IX
डिजिटल इंडिया
इंडिया प्रोग्राम डिजिटल इंडिया प्रोग्राम शुरू कर सरकार ने प्रत्येक व्यक्ति के जेब में ही दुनिया की हर एक सुविधा प्राप्त करवा दी है, सुनने में अजीब लग रहा है परंतु आज हर एक सुविधा आपके जेब में है उपलब्ध है यानी आपके जेब में पड़े मोबाइल में दुनिया की हर एक सुविधा उपलब्ध है चाहे कहीं बाहर जाने पर सिर ढकने के लिए छत हो, खाने के लिए भोजन, हो इधर से उधर घूमने के लिए गाड़ी हो, किसी को संदेश भेजना हो, घर बैठे किराने का सामान मँगवाना हो आदि। सभी एक पल में ही मोबाइल के द्वारा बुक या ऑर्डर किया जा सकता है पहले जब कहीं बाहर घूमने फिरने जाते तो बैग या जेब में पड़े पैसों की टेंशन खुद से ज्यादा होती थी और घूमने फिरने का मजा भी किरकिरा हो जाया करता था परंतु आज के युग में मोबाइल तथा क्रेडिट कार्ड को निश्चित होकर कहीं भी ले जाया जा सकता है यदि यह खो भी जाए तो भी पैसों के खोने का खतरा नहीं रहता बिना मोबाइल या कार्ड के मालिक की पुष्टि के बिना यह बिल्कुल संभव ही नहीं है।
अब कुछ लोग इसमें भी दखल देना चाहते हैं कि यह सही नहीं है हमें इस तरह ऑनलाइन या डिजिटल तकनीकी का उपयोग करना नहीं आता कहीं हमारे साथ ऑनलाइन फ्रॉहो गया तो। मगर यह बात सिद्ध है कि हर एक सिक्के के दो पहलू होते हैं एक पहलू सकारात्मक होता है तो दूसरा नकारात्मक होता है यदि सावधानी रखी जाए तो नकारात्मक पहलू से बचा जा सकता है जैसे अपने कार्ड नंबर किसी से भी साझा न करना किसी को भी अपनी ओटीपी न बताना किसी अनजान से किसी भी तरह की मदद न मांगना जैसी सावधानियाँ रखी जाए तो इससे आसानी से बचा जा सकता है और रही बात उपयोग करना ना आने की तो पैदा होते ही हम चलना नही सीख लेते हैं बार-बार परिश्रम करने से ही सीखते हैं तो यह भी सीखा जाए तो आसानी से सीख सकते हैं।
मोहम्मद अनस / Xl Science  
Friendship
According to me, friendship is not just a simple word, it is an emotion. Friendship is important in life because it teaches us a great deal about life. We learn so many lessons from friendship which we won’t find anywhere else. Friendship never leaves us in bad times. Good friends are vitally important to your mental health and the quality of your life. In short, true friendship is what gives us reason to stay strong in life. Having a loving family and all is okay but you also need true friends to be completely happy. Some people don’t even have families but they have friends who are like their family only. Thus, we see having true friends means a lot to everyone. Friendship makes us stronger. There is no doubt that best friends help us in our difficulties and bad times of life. Friendship is very essential for a happy life. Even a two-minute chat with a friend will make us forget our worries. That is the strength of friendship. Friendship is the most valuable as well as a precious gift of life. The quality of friendship is essential for happiness. True friends are needed in every stage of life to survive.
Hetal Vaishnav / VIII 
Sketch
I drew this sketch over a month ago with just a 6b pencil and a mechanical pencil. A
nd I think there is a deep meaning in the sketch, this sketch shows how people pretend to be fine from the outside but inside they are depressed and they are suffering from a lot of problems So we should not treat anyone wrong because we don't know what difficulty he/she must be going through
Sahil Vaishnav / XI Science

Appreciation
Praising anybody for his or her task can increase the confidence of the receiver. The word "Appreciation" looks smaller from outside but can help achieve anything if used properly. This word is the most powerful word to motivate someone. If someone is appreciated for a certain task then that person gives best in all further tasks. This word is motivating, carrying huge power inside and can turn negative thoughts into positive. Many organizations and multinational companies are known for the culture of appreciation. This is the main reason behind the happiness of their employees.
Everyone in this world loves to receive appreciation for their task. If someone has done something for you then saying 'thank you is a formality'. But if you provide some motivational words like "good work", "keep it up", or "excellent" along with 'thank you' then next that person will work with twice energy.
Appreciating someone's efforts is not an act that makes you feel shy but it's an act that shows your character. This act shows that you are living down to earth. Therefore it's  necessary to appreciate a person whenever possible. It is a good way to make things easier and simpler.
If appreciation is used properly, benefits are assured. Thus try to appreciate anyone instead of finding faults in anyone and you will see the changes for yourself.
Ritu Parihar / IX A
My Soul
I carefully write the word
hoping it’ll save a soul 
We need all of that in the
world, life’s always been the goal.
If someone only wanted me
how life is beautifully painful
maybe the truth would’ve seen
still I’ve been hopeful.
It’ll all be okay 
heaven will show me good 
one day in every way 
I will be understood.
My soul; I promised to save 
I’ll find out what it all means,
so much love I’ve got to give.
-Meenakshi Choudhary/XII 
OUR  EARTH 
Our Earth is the only beautiful planet that has life. The Earth formed around 4.5 billion years ago. That shiny blue marble that has fascinated humanity since they just began to walk across its surface. There are some interesting facts about earth:
• Earth is mostly iron, oxygen, and silicon. If you could separate the earth out into piles of material, you'd get 32.1% iron, 30.1% oxygen, 15.1% silicon and 13.9% Magnesium.
• 70% of Earth's surface is covered in water. 
• Earth doesn't take 24 hours to rotate on its Axis. It takes 23 hours, 56 minutes and 4 seconds for the earth to rotate once completely on its axis.
• A year on the Earth is actually 365.2564 days, which creates the need for a leap year.
• Earth has 1 moon and 2 co-orbital satellites.
-Tanya Tripash / VII 
Leadership 
PC : sloanreview.mit.edu
Practicing the position of a leader is known as leadership. For example, when someone works in a company, then there is a requirement of a leader who can take control or charge over a team so that the company can run smoothly. Leadership is a necessity of almost each and every organization as it helps to increase the chances of achieving the organizational goal. One of the famous leaders of our country, Mohandas Karamchand Gandhi, said that “I suppose leadership at one time meant muscles; but today it means getting along with people”.
Leadership Comes from Experience Although we have discussed above that sometimes leadership is innate, it also comes through experiences. Leadership is not always about the inbuilt qualities of people because sometimes it takes a long period of time to learn the best qualities of a leader so that one can become a prominent one. As a leader, one should always try to look for experiences that will make him or her a better leader.
Bhawani Singh Rathore / Vlll
Determination for Success
Nothing is impossible if you wish
Every hurdle can be moved if you push
There are opportunities don't miss
You already know there is a big rush
If you don't move somebody will crush
March ahead with enthusiasm afresh
 what you need is true dedication
A ton of zeal and strong determination

The World is not static, it's in motion
It will move ahead with you
Or without you, do you view?
Great mission is accomplished
Noble target is achieved
Only when desire meets determination
Determination is the sole determination
Which defines the final resultant
Winner or loser among many a contestant
Determination is not variable, it's constant
Luck is variable which may change at instant
Difference between success and failure is determination
When physical strength exhaust
And you still keep moving
Then be sure almost
It's nothing, But your determination…!
Yashwant Singh / IX
Contributors of Weekly
Kunal Rajpurohit, Dhawan Choudhary, Mohammad Anas, Seema Choudhary, Kunjan Rathore, Tamanna Solanki, Ritu Parihar, Himanshu Rajpurohit, Prasanjit Rajpurohit, Devansh Rajpurohit, Pawan Choudhary, Dhruv Suthar

Volume No. 499 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Swabhi Parmar, Ms. Jyoti Sain, Mr. Arvind Singh, Pushpendra Singh Ranawat, Tamanna Solanki, Kritika Rajpurohit, Kanak Gehlot, Kunal Rajpurohit, Harshit Rajpurohit, Ronak Deora, Mohammad Anas.

The School Weekly 10th January 2022

News & Events
1. UT - III Examinations started in the school.
2. Students from 15 to 18 years were safely vaccinated in the school. All the students under this category co-operated enthusiastically into the  vaccination drive.

Poem by Mandira Singh (Class I) : Click Here
The kind of girl who loves
The kind of girl who loves
watching romantic movies but never admits it.
The kind of girl who dreams about falling in love
but locks the door when love comes and knocks.
The kind of girl who doesn’t slap makeup on face 
but is silently insecure.
The kind of girl who watches horror movies but closes eyes 
at embarrassing scenes.
The kind of girl who loves traveling
but is afraid of driving.
The kind of girl who feels alone in crowded 
but still keeps composure.
The kind of girl with a messed up head and fussy thoughts
with absurd food craving and mental state that 
toggles between depression and normal mood.
I am that weirdo who feels lost.
-Meenakshi/XII Sci.
TIME IS PRECIOUS
'Time' this word looks very small but the whole world is running by it. Time plays a significant role in our lives. If we better understand the time value, then it can gain experience and develop skills over time. Time can also heal things whether external wounds or feelings. Time helps us to make a good habit of organizing and structuring our daily activities. No one can escape the passing of time. The best proverb on time is “Time and tide wait for none.” It is better said by someone. Everyone should understand the value and importance of time. In today's arena we have many such examples that we see that people have no time . But they are wrong , they are not respecting time . They spend their time in only social media or in today's world sinking in someone's eyes. Talking to someone for an hour without any reason, wasting time in playing games, waiting for the messages to whom we sent etc. We should understand the value of time . Time is precious partly for the reason that we are all only allotted a certain amount of time in our lives, and so we need to make sure that we use it wisely. Time management is paramount and understands the value of the time. Those people do their work on time and understand the value of time, and then they never get the embarrassment from their life. Finally, I would like to tell you that everyone should have this ability to take all things on time for a better future, and it will become more efficient.The more efficiently we act, the more time we will have leftover for future projects. If we look all around important events of history, then we will see that all successful people of history made the best use of time. The prosperous people of the world are very conscious of the value of time. Hence, we should never waste our time and try to make the best use of it.
RESPECT TIME, TIME WILL RESPECT YOU. 
Dhawan Choudhary / IX A
Failure is a stepping stone to success
Failure and success are the two sides of a coin. Like success, we should accept failure also. This saying means that if a person fails once, he should not lose heart. He should observe his mistakes and try to overcome them in his next attempt. Repeated efforts lead one to success. Failure gives us a new point of view through which we can achieve success. So, we should always regard failure as the first step or stepping stone to success. The story of King Bruce and the spider is the best example. He lost eight battles and the eighth time he lost very heavily so that he had to hide in a cave. There he saw a spider trying to build a web. The spider could not link the web at a particular point though it tried several times. But finally, it was successful. This inspired him and he again organized an army that defeated his enemies finally. So, failures should not be regarded as the inefficiency of the person. If a man armed with the experiences of failure picks up the courage and goes on a thing, success will be his. Failures provide a chance for self-improvement, so we should face them boldly and cheerfully.
Ritu parihar / IX A
SIGNIFICANCE OF SKETCHING
Sketching by itself is an art that gives peace and pleasure. It is an ideal way to develop a concrete illustration on every idea imagined. It is a great way to communicate your ideas to another person and also to stimulate creativity and open-ended thoughts, making the mind think in a different manner. It can also help the person to fight against depression because when a person is depressed he/she is unable to make contacts with people. Though they start expressing their thoughts in ways like sketching, writing books, poems, etc. As I've been making sketches for the last 2 years, I know what kind of satisfaction and relaxation it feels when the execution of the art is the same way you thought of. For me, this is the way to moderate myself. 
Himanshi Rajpurohit / IX A
HOPE
Thinking and believing in good, would give you hope in life , that ‘s why we say , ‘ Let's  hope for the best’ . And learning, reading, listening and knowing something new every day , helping others when they are in need gives you good hope in life. It is actually impossible for anyone to continue living without hope. Someone can say they have no hope in life , but still they have  hope deep inside .  Hope is to believe  things will work, especially when it seems problematic. Hope means HOLD ON PAIN ENDS.
Lastly a quote,
We must accept finite disappointment , but never lose infinite hope. 
- MARTIN LUTHER KING Jr.
Tamanna Solanki / VII 
A Goal is a Must
A Goal is a Must in Life, because without a goal no one has been successful and never will be. 
No individual wants to fail in his life, but still, they fail because they fail in planning or they do not have proper planning and for proper planning, it is a must that your goal should be clear. because If you don't have a goal then you can't do planning and if you can't do planning you cannot be successful. Life without a goal is like that: suppose you are standing on a bus stand and you have to go somewhere but you don't know where to go, So you sit in which bus? Because different buses go into different routes. And if you don't know where to go then where do you land? And most importantly how much time gets wasted. So, life without a goal is just like you left your home and want to go somewhere but you don't know where to go. Then you will leave the house but after time passes you will be back home nothing productive will happen, only your time will be wasted. So always convert your task to a goal. But only by setting a goal, the goal is not achieved. You have to do proper planning to achieve your goal. Because if you want to go on tour for a few days and you don't do proper planning then it cannot be successful then how you think that our life will be successful without planning. So, whether it is study, job, business or any field you have to set a goal and then stick to that goal.
Mohammad Anas / Xl Science
रोको  विनाश की तैयारी 
सोचा था  की तकनीकी से होगी बढ़ोतरी हमारी,
लेकिन फैली है पूरे देश में बेरोजगारी।
आज है इसका बहुत उपयोग,
कल होगा इसका दुरुपयोग। 
तकनीकी का बड़ा है नाम, 
करता है बड़ी तेजी से काम।
अगर करोंगे इसका ज्यादा इस्तेमाल, 
छायेगा बनकर तुम पर ये काल।
तकनीकी के युग में होता है इस्तेमाल कौन,
हम सबका प्यारा मोबाइल फोन।
लेकिन मोबाइल फोन का यह नेट, 
बनाएगा हमको इसका पेट।
सोचा था होगा यह बहुत प्यारा, 
लेकिन बिगाड़ दिया इसने जीवन सारा। 
आया था यह जीवन में जब, 
शारीरिक विकास रुक गया तब। 
दूर हो गए सब लोग संस्कार से, 
हार गए सब इसके घातक वार से। 
जानता नहीं है यह बात मनुष्य,
तकनीकी की हानियां है अदृश्य।
तकनीकी है एक ऐसा जहर,
बनकर छाएगा सब पर यह कहर।
विनाश की ओर है इसकी तैयारी,
दुनिया देखेगी तबाही सारी की सारी। 
दूंगी सबको एक ही सलाह, 
यह है सबसे बड़ी बला ।
माना कि तकनीकी है सबको प्यारी,
अंत में है इससे विनाश की तैयारी।।
सीमा चौधरी / कक्षा-11वीं
Happiness
Happiness is a feeling of pleasure and positivity. When someone feels good, proud, excited or satisfied about something, that person is said to be "happy". Feeling happy may help people to relax and to smile. Happiness is something which we can’t describe in words it can only be felt from someone’s expression of a smile. Every day we see and meet people who look happy from the outside but deep down they are broken and are sad from the inside. For many people, money is the main cause of happiness or grief. But this is not right. Money can buy you food, luxurious house, healthy lifestyle servants, and many more facilities but money can’t buy you happiness. 
And if money can buy happiness then the rich would be the happiest person on the earth. But, we see a contrary image of the rich as they are sad, fearful, anxious, stressed, and suffering from various problems. we can say that happiness can only be achieved by having positive thinking and enjoying life. Also, for being happy and keeping the people around us happy we have to develop a healthy relationship with them
Kunjan Rathore / XI
The Indian spy "Black Tiger"

Have you ever thought about where did the Indian agency get information about other country's planning for an attack? Have you ever heard about a spy or RAW agent who gives information about the attack or anything? Their life is full of risk if they are caught by the country police. Indian Army or Indian agency cannot help him and after that, he cannot say that he is an Indian guy because the RAW destroys his evidence of being a citizen of India.

I will tell you about a guy who was known as a black tiger. Ravindra Kaushik was born on 11th April 1952 and died in November 2001. He was the stage actor in Punjab. The RAW officer saw him acting and added him to RAW and he was sent to Pakistan where he got a new identity and changed himself into Islam. His new name was Nabi Ahmed Shakir. He later completed his LLB from Karachi and joined the Pakistan army and became a Commissioner officer. Later he was promoted to the rank of a major on the personal front. Shakir married a girl named Amanat and became a father of a girl. From 1979 to 1983 he passed on critical information to the Indian defense forces which was a great help. Because of the valuable information being sent by nabi, he became famous as the 'black tiger' in the Indian defense circle, a name conferred by Prime Minister, Indira Gandhi. He was caught when Inayat Masha was sent by RAW to get in touch with him. Inadvertently blew his cover to the Pakistan forces. In interrogation, in September 1983 he was sentenced to death in 1985 for spying but the punishment was later reduced to life imprisonment. He died in jail in November 2001. He was buried behind that jail.

This is how he was given the title of "The Black Tiger" for his valuable contribution towards India.

Prasenjit Rajpurohit / Vlll A


Friendship
Friendship is a one of the most precious gift-of-life. Friends are those who help you, enjoy with you, understand you, we know many people in our life. But not all are friends. Friend is that person who understand as more than you. Friend should be choose carefully, because good friends lead us an good path, where is bad friendship may spoil our life by leading us an wrong path. Our bad times make us realise us about .A bosed on layality and support.  A good friends is a person who will stand with you when times are tough. Friendship does not mean only understanding  and helpings it needs some patience. Naughtiness,  love etc. So true friends are pillar of life. The precious gift that we have achieved .friendship is truth purest love. Friendship is Bond that ersures happiness especially during time. Friend is a part and parcel of one's life.  A person who is honest and sincere can prove to be a good friend. A true friend inspires the other to improve himself.
Pawan Choudhary / VII B
Wrist Watch
A wrist watch is designed to be wear on wrist attached by a strap or other type of bracelet. There are other variation. A wrist watch has the advantage of being portable in comparison to traditional watches. Watches were evolved in 17 century from spring power clocks, which appearance early as the 14th century. Peter Helen created the first pocket watch. Now the technology please develop there are many types of watches like, smart watches, fitness band and many more. Nowadays watches have the functions like mobile phone such as message anyone, talk with anyone and many more features.
Dhruv Suthar/VII B
Contributors of Weekly
Kunal Rajpurohit, Dhawan Choudhary, Ritu Parihar, Mohammad Anas, Seema Choudhary, Kunjan Rathore, Tamanna Solanki, Ritu Parihar, Himanshu Rajpurohit, Prasanjit Rajpurohit, Devansh Rajpurohit, Pawan Choudhary, Dhruv Suthar 


Volume No. 498 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Swabhi Parmar, Ms. Jyoti Sain, Mr. Arvind Singh, Pushpendra Singh Ranawat, Tamanna Solanki, Kritika Rajpurohit, Kanak Gehlot, Kunal Rajpurohit, Harshit Rajpurohit, Ronak Deora, Mohammad Anas.

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