News & Events
Manmanvendra Singh from the batch 2018-19 participated in NCC Parade at Rajpath, New Delhi in the Republic Day Parade. It is a proud moment for all of us that one of our student has set a benchmark for equipping excellent skills and taking the name of the school at a national level. We wish him all the best for his future endeavors.
26th January - The school celebrated Republic Day with zeal and enthusiasm.
हमारा गणतंत्र
इस वर्ष हमने 73 वाँ गणतंत्र दिवस मनाया। कोरोना के संक्रमण के कारण विद्यालय में बच्चों द्वारा कोई प्रस्तुति नहीं दी गई। परंतु विद्यालय स्तर पर ध्वजारोहण प्रधानचार्या जी द्वारा किया गया तथा शिक्षक गण उपस्थित रहे। भारत, विश्व का गौरवशाली गणतंत्र है। गण अर्थात लोगों का, तंत्र यानी शासन। पूर्ण अर्थ है लोगों का शासन। जनता अपने मताधिकार का उपयोग कर स्वयं अपना शासक चुनती हैं। जनता जिसे चाहे नकार सकती है, जिसे चाहे उच्च पद पर प्रतिष्ठित कर सकती हैं। प्रतिवर्ष कई बच्चों नाम मतदाता सूचि में जुड़ते है अर्थात उनको वोट देने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि केवल स्वार्थवश या किसी झाँसे में आकर वोट न दें। योग्य व्यक्ति को ही अपना मत देकर देश के कल्याण में भागीदार बने। 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाया जाता है इस दिवस का सन्देश भी यही है कि प्रत्येक मतदाता अपने मत का मूल्य पहचाने। हमारे लिए इन राष्ट्रीय त्योहारों का महत्व और बढ़ जाता है। सार्वजानिक रूप से इन त्योहारों को मानना अत्यावश्यक हो जाता है। विद्यालय स्तर से ही बालक के मन में राष्ट्रीयता की भावना का उदय होना जरुरी है तभी वह देश का एक जिम्मेदार नागरिक बन सकेगा।
कृष्ण गोपाल / वरिष्ठ अध्यापक
Republic Day
The School celebrated its 73rd Republic Day on 26th January 2022. Due to the pandemic as school was closed so the students didn’t give any performance on this day. But in the School the Principal Ms. Rajeshree Shihag hoisted the flag in the presence of the faculty, admin & support staff.
Republic Day marks the adoption of the constitution of India and the transition of the country to a republic on 26th January 1950. India got its freedom from British rule on 15th August 1947; but the constitution came into force on 26th January, 1950 and from that day onwards we celebrate this day as Republic Day.
26th January was the chosen date since it was on this day in 1929 that the Indian National Congress issued the Declaration of Indian Independence (Purna Swaraj), opposing the British Regime's Dominion status. The Constitution establishes fundamental rights that should be enjoyed by all citizens of this country, regardless of their political beliefs. It also establishes some fundamental duties for all citizens of the country to abide by.
It is the duty of each one of us to celebrate this day because it teaches us the value of our constitution & its necessity for good governance. It inspires us to be self reliant & helps us to cherish the thoughts & ideologies of the great personalities of our nation. The constitution has provided the right to equality which helps us to advocate equality among all the classes of the society. This day unites the whole country to celebrate under one roof & portray our national unity & patriotism.
Bharti Rao/ Educator
बालिका दिवस
" बेटिया यूं ही नहीं
खास होती हैं।
बेटियां तो खुशनुमा
एहसास होती हैं।"
हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मानने कि शुरुआत साल 2009 से हुई। केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में लड़कियों के साथ भेदभाव और अन्याय होता है। इस बात की गंभीरता को समझते हुए हर साल लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए बालिका दिवस मनाते हैं। देश में लड़कियों को आत्मनिर्भर और अहम दर्ज़ा देना ही इस दिवस का उदेश्य हैं। समजा में बालिकाओं की असमानताओ को मिटाने के लिए लोगों के बीच जागरुकता को बढ़ाना इस दिवस को मानने का लक्ष्य हैं। बालिकाओं के साथ भेद भाव एक बड़ी समस्या है। जो कई क्षेत्रों में फैला है जैसे, शिक्षा में असामानता,शोषण,कानूनी अधिकार, चिकित्स देख रेख,सुरक्षा, सम्मान,बाल विवाह आदि।
एक बेटी के मन की बात ;
मां, पापा आज इस समाज को माना लो,
किस जूर्म की सजा मुजको दे रहे हो,
मेरी गर्दन से आपने ये हाथ हटा लो,
मा पापा मुझे जीना हैं मुझे जीने दो,
जुक जाए ये आसमान कुछ ऐसा काम करुगी गर्व करोगे , जग में नाम रोशन करुगी तुम्हारा।
पापा को नहीं होने दुगी पछतावा ,
उनकी इज्जत हूं और रहूंगी
उनका गुरूर बनूंगी, उनकी लाढी बनूंगी।
मत मारो में समाज हूं,
मत मारो में अल्फ़ाज़ हूं,
दो लफ्ज़ तुम बोल ना सकोगे,
ऐसी में अल्फाज़ हूं,
मत मारो मुझे मा पापा
मुझे भी जीने हैं।
तुम्हारी नींद का रखूंगी ध्यान, सबसे पहले,
वादा हैं भुक से कभी नहीं रहूंगी।
पढ़ाई कर लूंगी खुद से स्कूल के पैसे बचा लेना ,
तन ढक जाए बस इतने कपड़े सिला देना कि
मा पापा मुझे भी जीना हैं।
इस समाज इन लोगों के खातिर मेरी दुनिया ना उजाड़ो मा पापा, में बोज नहीं हूं मा पापा मूजको ऐसे कोख में ना मारो।
मुझ पर विश्वास भले न हो तुम खुद पर तो विश्वास करो मुझे बचाने के खातिर तुम थोड़ी तो हिम्मत करो।
मुझे ऐसे मार दोगे तो बाबा आपको बाबा कोन केह कर पुकारेगा,मा आपको मा कोन कहेगा।
बेटी नहीं रही तो ये बेटा किस संग बिहावेगी,
बहन नहीं होंगी तो भाई को राकी कोन बंदेगा, अगर बेटियों को ही मार दोगे तो समाज में बचेगा क्या??
आनेवाली दुनिया कैसे अपना आस्तित्व बचाएगी???
बिना नारी ये सृष्टि नहीं चलेगी इस बात को तुम सब ज्ञात लो,
बेटी का अपमान मत करो, मत करो।।
मा पापा मुझे जीना हैं, इस समाज को माना लो।।
सीमा चौधरी / 11व
The Giving Tree
They are self denial and humble.
They give us their fruits to eat
And their wood to fulfill people's needs.
They give cool shed under them in the hot scorching sun,
And had never asked anything in return.
They are very kind hearted and full of generosity,
After that also we treat them with brutality.
Just cause they can't walk and talk,
We think they aren't alive.
No,
Trees do have life
They are grown consuming earth's water, minerals and sunlight for years.
Their roots had radiated everywhere in the ground taking several years.
But some people kill them very easily
Without thinking what will happen if there will be no tree?
O it's a humble request to those please don't kill the giving tree.
Ritu parihar/ IX A
बालिका शिक्षा पर निबंध:
लड़कियों की शिक्षा हमेशा चर्चा का विषय रही है। प्राचीन समय से, लड़कियों को कमजोर माना जाता है और इस प्रकार उन्हें घर पर रहने और घरेलु मुद्दों का ध्यान रखने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है; लड़कियाँ आज अपने घरों की सीमाओं को पार कर रही हैं और चमत्कार कर रही हैं। जिन लड़कियों को शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, वे अब सेना, नौसेना, वायु सेना, कुश्ती, निशानेबाजी और हर दूसरे क्षेत्र में शामिल होने को तत्पर हैं। लेकिन आज भी, भारत का एक बड़ा वर्ग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर माता-पिता अभी भी लड़कियों को स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं। इसके पीछे कई कारण हैं और सदियों पुरानी मानसिकता सबसे बड़े कारणों में से एक है। भारत जैसे देश में जहां बहुसंख्यक लोग दुर्गा, काली, शक्ति, सरस्वती आदि देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, यह देखना वाकई अजीब है कि लड़कियों को अपने फैसले लेने की अनुमति नहीं है। शिक्षा की कमी बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अन्य कई अपराधों के रूप में कई कुप्रथाओं को जन्म देती है। सरकार को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेरित करने के लिए लड़कियों को छात्रवृत्ति, वजीफा, प्रमाण पत्र, आदि प्रदान करना। स्कूल से दूरी कम करने से न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि माता-पिता को भी अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि युवा लड़के और पुरुष सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में चर्चा में शामिल हों; इस तरह की चर्चाएँ महिलाओं के प्रति पुरुष की रूढ़िवादी मानसिकता को बदल सकती हैं। शिक्षा प्रणाली में लड़कियों और युवा महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए, प्राधिकरण को उनके लिए सुरक्षित और समावेशी सीखने का माहौल बनाना चाहिए। संवेदनशील पाठ्यक्रम उनके व्यावहारिक ज्ञान को भी बढ़ाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा। स्कूलों में अधिक से अधिक महिला शिक्षकों को काम पर रखा जाना चाहिए यह लड़कियों को कठिन अध्ययन करने और अपने शिक्षक के पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा। सरकार को जल्दी बाल विवाह को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ये सभी और कई अन्य कदम निश्चित रूप से माता-पिता में भी जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाते हैं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने और एक स्वतंत्र व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करेंगे।
जया बावल / कक्षा - X A
Beauty of the Inner World
Whenever we talk about the outer world there are few pictures which come in front of our eyes of our friends, family, job, money and many other materialistic things. But it is very rare when we talk about the inner world, the world of peace, the world of happiness. Most people do not know the beauty of interacting with the inner world.
Interacting with the inner world means interacting with yourself. Before getting interactive with others we should first interact with ourselves because this will let us know about our peace of mind, our strengths of holding emotions, it also gives us spiritual calmness.
When we are tired of dealing with this hectic world then this spiritual need helps us to make ourselves calm in the era of frustration. It is very important to maintain both the world equally, only then we can live our life happily.
If inside your soul a big conflict is going on, even if you are pretending to be happy from outside then it is not good for you; because happiness can't be pretended. Happiness is a mode which occurs automatically by the Vibes of inner peace .so, we need to understand the mode of true happiness.
I know in today's world people don't have time for self interaction but it is important because money and materialistic things can't buy inner peace. But mostly what happens, people don't show their interest in this and start suffering through depression and many psychological problems.
Sanyogita Ranawat / X A
हमारे त्योहार और उनके महत्व
भारत त्योहारों का देश हैं जहाँ पूरे साल अलग अलग त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। भारत में सभी धर्मों के लोग अपना त्योहार एक साथ मिल-जुलकर मनाते हैं। भारत में सभी त्योहार खुशी और जुनून के साथ मनाए जाते हैं। जैसे- दिवाली, होली, गणेश चतुर्शी, रक्षाबंधन, मकर संक्रान्ति आदि। दिवाली एक धार्मिक त्योहार है जो "अन्धकार पर प्रकाश की विजय" को दर्शाता है। होली 'रंगों का त्योहार हैं जो बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक शामिल हो कर धूम धाम से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी भगवान गणेश जी के जन्मदिन के रूप मे मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी वैसे तो भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के लोग इसे बहुत उत्साह के साथ मनाते हैं। भगवान गणेश ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के प्रतीक है। रक्षा बंधन का त्योहार भाई को अपनी बहन के प्रति कर्तव्य याद दिलाता है।इस त्योहार को केवल सगे भाई-बहन ही नहीं बल्कि कोई भी पुरुष - महिला मना सकते हैं। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग सूर्य की पूजा करते हैं।त्योहार जीवन को खूशहाल व रिश्तों को मजबू बनाता है। त्योहार लोगो के मन मे नई उम्मीद भर जाते हैं। यही कारण है कि त्योहार के अवसर सभी मानव खुशी से झूम उठते है।
दिव्यांशी सिंह / कक्षा- 6th
केला
2. केला एक अच्छा फल हैl
3. केला पीले रंग का होता है।
4. केला कच्चा भी होता है पक्का भी होता है।
5. कच्चे केले की सब्जी बनाई जाती है।
संस्कार सीरवी / कक्षा प्रथम
Volume No. 501 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Swabhi Parmar, Ms. Jyoti Sain, Mr. Arvind Singh, Pushpendra Singh Ranawat, Tamanna Solanki, Kritika Rajpurohit, Kanak Gehlot, Kunal Rajpurohit, Harshit Rajpurohit, Ronak Deora, Mohammad Anas.