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News & Events
Story Writing Competition
Results for English Story Writing are as follows:
Class II: First- Yugveer Singh Rathore; Second- Priyanshu Rathore; Third- Sneha
Class III: First- Harshil Dave; Second- Devanshi Ojha; Third- Jihaan Prajapati
Class V: First- Naksh Parihar; Second- Aditya Rajpurohit; Third- Abhimanyu Singh
Class VI: First- Vaesha Choudhary; Second- Kaushlender; Third- Lenin Mandlesha
Class VII: First- Maheshpal Singh Rathore; Second- Divyanshi Singh Rajawat; Third- Yakshita Rathore
Class VIII: First- Soumyajeet Solanki; Second- Mohd. Anas Zai ; Third- Tiya Sompura
Third- Arya Rajpurohit
Class IX: First- Priya Vaishnav; Second- Kesar Sompura; Third- Rashi Jain
Class XI: First- Nalini Kunwar; Second- Riya Vaishnav; Third- Lakshyaraj Kunwar
Results for Hindi Story Writing are as follows:
दिनांक 3 दिसंबर को हिंदी विभाग द्वारा कक्षा स्तरीय कहानी लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई। कहानी लेखन का उद्देश्य मन की अभिव्यक्ति को बढ़ाना, कल्पना करने की शक्ति जागृत करना और भाषा पर पकड़ बढ़ाना था। बच्चे रुचि से इस प्रतियोगिता का अंग बने। इस प्रतियोगिता के लिए अंक विभाजन इस प्रकार था -
मौलिकता - 10 अंक
विचार/अवधारणा - 10 अंक
रचनात्मकता - 10 अंक
शुद्धता/ शिक्षा - 10 अंक
इस प्रतियोगिता का परिणाम इस प्रकार रहा -
कक्षा I -प्रथम - कृष्णपाल सिंह रमन हाउस ; द्वितीय - काव्यांजलि ध्यानचंद हाउस ; तृतीय - तेजवर्धन गांधी हाउस
कक्षा II - प्रथम - आध्या माथुर ; द्वितीय - गिरिराज सिंह गांधी हाउस ; तृतीय - खुशन बंबोली गांधी हाउस
कक्षा III -प्रथम - कृतिका कुशवाहा रमन हाउस ; द्वितीय - श्लोक धवल ध्यानचंद हाउस ; तृतीय - ईश्वर सिंह टेरेसा हाउस और वैभवराज सिंह
कक्षा IV - प्रथम - तानिषी चितारा रमन हाउस ; द्वितीय - सानिध्य सिंह सोलंकी रमन हाउस ; तृतीय - आशी सोनी गांधी हाउस
कक्षा V -प्रथम - हिमांशु कुमार टेरेसा हाउस ; द्वितीय - बुध कंवर रमन हाउस ; तृतीय - मयंक मारू गांधी हाउस
कक्षा - VI से VIII तक का परिणाम पिछले अंक में प्रकाशित किया जा चुका है।
कक्षा IX - प्रथम - हेतल वैष्णव रमन हाउस और अभिलाषा मेंशन रमन हाउस
द्वितीय - धीरजपाल सिंह टेरेसा हाउस ; तृतीय - प्राची कुंवर टेरेसा हाउस
कक्षा - XI - प्रथम - पूजा सोढ़ा टेरेसा हाउस ; द्वितीय - संयोगिता राणावत ध्यानचंद हाउस ; तृतीय - दिव्यंका राणावत ध्यानचंद हाउस
कहानी लेखन
परोपकारी सुरेश
एक दिन सुरेश ने देखा- एक साईकिल सवार अपनी गठरी समेत नीचे गिर गया। कारें आ रही थी, जा रही थी, पर उसे उठाने के लिए कोई नहीं रुका। उसे काफी चोट लगी थी, वह स्वयं उठ नहीं पा रहा था और तो और उसका सारा सामान इधर उधर बिखर गया। सारे लोग उसे देख रहे थे परन्तु उसे उठाने कोई नहीं गया। किसी को उस पर दया नहीं आई। तब सुरेश के मन मे उस व्यक्ति के लिए दया की भावना उत्पन्न हुई, वह उसके पास गया और उसका सामान इकट्ठा करने लगा। धीरे-धीरे दूसरे लोग भी उसका बिखरा सामान उठाने आने लगे। उस व्यक्ति को पता भी नहीं चला और देखते ही देखते उसका सारा बिखरा सामान उस गठरी में बाँध दिया। एक की पहल पर दूसरे भी आगे बढ़े किंतु वह महान है जो पहल करता है। वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसने सबको धन्यवाद भी दिया किंतु उसे काफी चोट लग गई थी। वह ठीक से चल भी नहीं पा रहा था। उसको सुरेश हॉस्पिटल लेकर गया और वहाँ उसका इलाज़ करवाया। और उसे सही सलामत उसके घर भी छोड़ा। इतना सब करने के बाद सुरेश काफी खुश था, किसी की मदद करके वह अच्छा अनुभव कर रहा था। जब वह अपने घर गया तब उसने देखा कि, उसकी माँ उसके लिए अनेक पकवान बनाकर बैठी थी। और उसके सारे रिश्तेदार वहाँ मौजुद थे। उसे समझ नहीं आया कि आखिर आज क्या है? फिर उसे पता चला कि उसकी उस घटना का किसी ने वीडियो बनाया था और सोशल मीडिया पर वाइरल कर दिया। वह दिन उसके जीवन का सबसे अच्छा दिन रहा क्योंकि उसी दिन के बाद से वह परोपकार के लिए बहुत तेजी से पूरे देश में प्रसिद्द हो गया।
शिक्षा- कर भला तो हो भला
Abhilasha Mansion / IX
घमंड का नतीज़ा
एक समय की बात है सुरेश ने देखा एक साइकिल सवार अपनी गठरी समेत नीचे गिर गया । कारें आ रही थी, जा रहीं थीं, पर उसे उठाने के लिए कोई नहीं रुका । सुरेश ने जब ये सब देखा कि कोई इंसान उसकी मदद के लिए नहीं रूका तो उसके चेहरे पर अलग ही हाव भाव आ गए। वहाँ पर सुरेश के दो मित्र भी मौजूद थे पर सुरेश को ये बात पता नहीं थी, एक मित्र का नाम था रमेश जो कि बहुत ज्यादा घमंडी व्यक्ति था, दूसरे मित्र का नाम था रोहन जो कि बहुत सादगी वाला व्यक्ति था। तभी अचानक सुरेश की नजर उसके उन दोनों मित्र पर पडी, उसने वो गठरी वापस नीचे रख दी क्योंकि वह देखना चाहता था कि उसके मित्र उसकी मदद करते है कि नहीं। उसी वक़्त रमेश और रोहन दोनों वहां पहुंचे, तभी सुरेश ने कहा कि "अरे! मित्रों क्या तुम मेरी इस गठरी को उठाने में मदद करोगे?" तभी रमेश ने कहा कि तुम्हें क्या लगता है मैं इस गठरी को उठाऊँएगा, मैं इतना तुच्छ काम नहीं करता और फिर वह वहाँ से चला गया। तब रोहन ने रमेश की मदद की। फिर सुरेश ने उसे धन्यवाद कहा और कहा " तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो और दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते हो, तुम्हें जब भी मेरी जरूरत पड़ेगी तब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा। इस घटना के 2 साल बाद सुरेश एक बहुत अमीर इंसान बन जाता है क्योंकि उसकी एक बड़ी कंपनी में नौकरी लग जाती हैं। उसी वक़्त रमेश और रोहन, सुरेश के पास आए और दोनों ने अलग - अलग कहा कि मुझे तुम्हारी मदद की आवश्यकता है। किंतु सुरेश ने कहा मेरी इतनी ही हैसियत है कि मैं किसी एक की ही मदद कर सकूं। तभी सुरेश ने रोहन की मदद की और रमेश से कहा कि आज तुम्हारी ये हालत तुम्हारे घमंड की वज़ह से है। अपने घमंड की सजा उसे मिल चुकी थी इसलिए रमेश ने सुरेश से माफी मांगी और वादा किया कि अबसे मैं कभी किसी बात का घमंड नहीं करूंगा।
शिक्षा - हमें कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
हेतल वैष्णव / IX
अंधेरी रात में तस्करी
तारों भरी रात थी l आकाश में चांदनी का साम्राज्य थाl मैं अपने पालतु कुत्ते को लेकर सड़क पर टहलने लगा। भोजन के पश्चात टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, इसी विचार से टहलने निकलता हूं। धीरे - धीरे हम घर से कुछ दूरी पर पहुंच गए। वहां पूर्ण शांति रहती है क्योंकि लोग अपने घरों में होते हैं, पूरा सुनसान इलाका था। शहर से दूर होने की वजह से उस जगह पर गाड़ियां नहीं थी। मुझे उससे कॉलोनी का शांतिपूर्ण वातावरण बड़ा अच्छा लगा। हर रोज की तरह आज भी मैं और मेरा पालतू कुत्ता दोनों गुजर रहे थे, अचानक मेरा कुत्ता जोर-जोर से भागने लगा। वह पीछे की तरफ बने हुए घर को देखकर भौंकने लगा, जो दिखने में ऐसा लग रहा था मानो कई वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। मुझे लगा कोई चमगादड़ देखा होगा इसलिए भौंक रहा है। मैंने इस बात को यहीं छोड़ दिया, अगली शाम खाना खाने के बाद फिर हम टहलने निकल गए। जैसे ही उस पुराने घर तक पहुंचे, फिर से मेरा कुत्ता भौंकने लगा। ऐसा हर दिन चलने लगा, फिर मुझे आशंका हुई कि जरूर कुछ गड़बड़ है। अगला दिन रविवार था। सुबह होते ही मैं निकल पड़ा उस घर की तरफ आसपास के लोगों से यह सूचना मिली कि वह घर 12 वर्षों से बंद है! घर मालिक विदेश रहता है !पर बात यह आश्चर्य की थी कि रात होते ही वह कुत्ता हर बार क्यों भौंक रहा है। मैं गंभीरतापूर्वक घर गया। रविवार का दिन था इसलिए उस घटना को छोड़कर मैंने टेलीविजन चालू की और न्यूज़ में दिखा रहे थे कि एक नई गैंग शहर के मासूम लोगों को बेहोश कर उनके घरों को लूट रहे हैं परंतु अभी तक एक भी गैंग मेंबर नहीं पकड़ा गया। अभी मुझे पता नहीं क्यों लेकिन उस पुराने घर एवं लुटेरी गैंग की घटना का कुछ मिलन लग रहा था! उसी रात में जानबूझकर अपने कुत्ते को लेकर उस कॉलोनी में गया हर बार की तरह कुत्ता भौंकने लगा। उसी घर की तरफ देख रहा था अचानक मैंने देखा कि खिड़की दो लोग खड़े हैं, चूंकि रात का समय था इसलिए हमें नहीं देख पा रहे थे। परंतु उन्हें देखते ही मेरा कुत्ता हर बार की तरह भौंकने लगा और उसी समय यकीन हो गया कि वे लोग कुछ गलत कार्य कर रहे हैं। मैंने उसी समय तत्काल पुलिस से संपर्क किया और पुलिस कर्मचारियों की टीम ने यह पाया कि वही खतरनाक गैंग है जिसे सरकार ढूंढ रही है। पुलिस कर्मचारियों ने मेरा आभार जताया और उन लोगो को लेकर चले गए। मैं और मेरा कुत्ता भी संतुष्टि से अपने घर की ओर चले गए। आज आत्मसंतोष हो रहा था।
शिक्षा-हमें हमारे आस पास होने वाले किसी भी घटना को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए क्या पता किसी की मदद हो जाए!
पूजा सोढ़ा / XI
A Life, Less Ordinary
We sat around the campfire in silence, nobody wanting to bring up our predicament. Everything was going to have to come out anyway, we might as well it over with. I was just about to clear my throat when I noticed Sam and Laylor standing apart from the group whispering. I think they were not interested in such group discussions. They both were army officers and I had heard that army people have lots of experience in their training and posting. I just got two cups of coffee and went to talk to them. To my surprise, they approached me with wide smiles. Sipping the coffee we started to talk about daily chaos and suddenly Sam received a phone call that his posting had been changed to J.&K. They were both Assamese boys who were just 23 years old. I invited them to join our discussion and after that our whispering discussion got connected into loud laughs.
Taylor told that his training period was the best part of his life. Were all eight people joining the discussion, everyone having different passions and different circumstances? I asked Sam if he was not scared to be posted in J.&K. He replied casually that if he would be a coward no one would have chosen him in the army. "We are not afraid to die." That day I realized that it needs the courage to be a soldier. I am working in a firm where I can leave if my workload increases, my friend Jasprit, a businessman is always in a worry that his business may get down. But these men in Olive Green are always comfortable with everything, they live their present and enjoy every bit of their life. After an hour I asked them, why they were standing alone. Taylor replied that they were planning their skydive which is to be held tomorrow at a height of 10,000 feet. All of us were amazed and asked how could you be such casual in saying 10,000 feet. Sam said that it is the power of an Olive Uniform.
MORAL-Respect the soldiers as their life is an inspiration for millions! Nalini Kanwar /XI
International Mountain Day
International Mountain Day is celebrated annually on December 11 to increase public awareness of the value of mountains to both life and climate. The United Nations General Assembly (UNGA) established International Mountain Day to recognize the importance of mountains. International Mountains. It also has an impact on mountain tourism. Mountain tourism has grown in popularity over the years. People express a desire to visit the mountains rather than the lowlands. The theme of this year’s International Mountain Day is ‘Women Move Mountains.’ Women play a key role in mountains' environmental protection and social and economic development.
Lisha soni / XI
Every year observe Nation Energy Conservation Day on December 14. The day is organized by the Bureau of energy efficiency (BEE) which operates under the Ministry of power aiming to present India's stellar achievements in cost-efficient energy production and resource conservation. Further plans for the future are also discussed on this day, targeting holistic development as the main goal for the mitigation of climate change. Include yourself in more informative ways to spread awareness on climate change and conserving energy by following top energy journalists and their work.
Divyanka Ranawat / XI
Universal Health Coverage Day
Universal health coverage day is celebrated on 12 December every year. UHC is promoted as an instrument to help advance the more broadly conceived human right to health, which is based upon several international agreements, or widely affirmed international documents.
Universal health coverage has been included in the new Sustainable Development Goals for 2015-2030, adopted by the United Nations. In many nations, inclusive healthcare is very rudimentary and does not include heroic interventions or long-term care. WaterAid reports that national infrastructure in many nations cannot support first-world healthcare delivery mechanisms because it may not even provide potable water, let alone electricity.
Ridhima Ojha / XI
UNICEF Day
Hunger is not a problem, it is an obscenity. How wonderful it is that nobody needs to wait a single moment before starting to improve the world. The United Nation felt the need to care for the children and created an emergency fund. Thus, the global initiative UNICEF was formed. December 11, subsequently got marked as UNICEF day. The program was initiated to provide supplies, and assistance and to improve the health, nutrition, education, and general welfare of children during World War II. if the young seeds are provided good life then only the world can flourish
Sanyogita Ranawat / XI
National Energy Conservation
Every year, India observes National Energy Conservation on December 14. The day is organized by the Bureau of Energy Efficiency (BEE) – which operates to present India’s stellar achievements in cost-efficient energy production and resource conservation.
The Ministry of Power, Government of India, launched the national energy conservation award in 1991 to recognize the contribution of industries and establishments in reducing energy consumption while maintaining their production through awards. Essentially, the main objective of the day is to reduce the use of energy and to encourage people to use it efficiently. National Energy Conservation Day aims to generate awareness among the masses in India about the importance of saving energy. People are also kept in the loop on new courses of action and plans that are being formulated. Information is given on minimizing energy waste and how the public can do their part in conserving resources.
Energy Conservation Day is a reminder that we can no longer go easy without our energy sources and must conserve them. Energy saved is energy earned. Let us work towards a sustainable world by embracing renewable energy.
Prachi Rao/ XI
Vijay Diwas
A mother, sister, father, and friend have lost someone close to their heart we can't get them back but we can certainly stand for those who sacrificed their lives for us. In India, Vijay Diwas is observed on December 16. The historic military triumph over Pakistan in the 1971 War is commemorated on this day. It honours our brave soldiers who gave their lives in the service of the country. This year is the 51st anniversary of that event, which led to the creation of Bangladesh.
Prasenjit Rajpurohit / lX
Yoga
Yoga is an ancient art that connects the mind and body. It is an exercise that we perform by balancing the elements of our bodies. In addition, it helps us to meditate and relax. Yoga helps us keep control of our bodies as well as our mind. It is a great thing for realizing our stress and anxiety. It is now spread in all regions of the world. It unites people in harmony and peace.
Devansh Rajpurohit/ IX
Interview with Krishna Gopal Dave Sir
(Reporters/RP - Prachi Kunwar and Mohita Solanki from class IX )
RP: आपका स्कूल में अनुभव कैसा रहा है?
KDE: शानदार, यहां रहते हुए कई नवीन जानकारी और तथ्यों से अवगत हुआ हूं। कई बार ऐसा भी लगा कि यदि यहां नहीं होता तो कई सारे स्वर्णिम अवसर खो देता।
RP: आपके शौक क्या - क्या है?
KDE: कई सारे शौक है लेकिन नई जानकारी जिसमें समसामयिक विषयों की जानकारी, इन पर चर्चा करना
अच्छा लगता है। कोई यदि प्रश्न पूछे और मुझे भी वह जानकारी न हो तो उसके बारे में जानने के लिए उत्साहित रहता हूं।
RP: आपको इस स्कूल में कितने साल हो हुए है।
KDE: वर्ष 2007 - 08 के सत्र से ये मेरा सोलहवां साल है।
RP: आपने किन - किन स्कूलों में काम किया है और वहां का अनुभव कैसा रहा?
KDE: इससे पूर्व मैं आदर्श विद्या मंदिर, फालना और इम्मानुअल मिशन स्कूल, फालना में काम कर चुका हूं। अध्यापन का प्रथम अनुभव मुझे यहीं से प्राप्त हुआ।
RP: आपको इस स्कूल में क्या अच्छा लगा?
KDE: सबसे अच्छा हरितिमा युक्त शांत वातावरण ने आकर्षित किया। शहर की चहल - पहल से थोड़ा दूर शांत वातावरण। जैसे पहले गुरुकुल हुआ करते थे। गतिविधि आधारित अध्यापन ने भी बहुत आकर्षित किया।
RP: आपके विचार से शिक्षा किस तरीके से एक विद्यार्थी को सज्जन बनाती है?
KDE: सबसे पहले तो यह जान लेना आवश्यक है कि शिक्षा से ही सारी बुराइयों का अंत संभव है। वास्तव में जो शिक्षित है वह संस्कारी अवश्य होता है।' विद्या विनयेन शोभते ' विद्या प्राप्त व्यक्ति कभी धृष्टता नहीं कर सकता। फिर भी विनय के साथ, मित्र की तरह शिक्षा दी जाए तो परिणाम अधिक सकारात्मक होंगे।
RP: परीक्षा विभाग प्रमुख बनने के बाद क्या - क्या तकलीफें उठानी पड़ी?
KDE: तकलीफ तो नहीं, पर यह अवश्य रहा कि पहले से अधिक चौकन्ना और चुस्त रहना पड़ा। सारी योजनाएं सही से चले या निर्धारित समय पर परीक्षाओं का आयोजन हो इसके लिए योजनाबद्ध कार्य करना पड़ता है।
RP: ऐसा कौनसा काम है जो आप आज भी करना पसंद करोगे?
KDE: शिक्षण कार्य मेरा पसंदीदा क्षेत्र है, उसमें सतत कार्य कर रहा हूं। जब तक उमंग है तब तक जारी भी रहेगा। यदि किसी अन्य कार्य की बात की जा रही है तो अपने मित्रों के साथ बैठकर बातचीत करना।
कहानी -वह दिन
मुझे अपने ऑफिस पहुँचना था, मैं बहुत जल्दी में अपने घर से निकली थी। सड़क पर आयी और अंधाधुंध भागने लगी। अचानक एक तेज रफ्तार गाडी मेरे आगे से गुजरी और मुझे ऐसा लगा मानों कि वह मुझे जानबूझकर मारने की कोशिश कर रहा था परंतु यह सोचकर कि 'यह मेरा भ्रम ही होगा', मैं ऑफिस को चलती बनी। मैं वक्त पर ऑफिस तो पहुँच गयी परंतु मुझे वही बात सताये जा रही थी। यही सोचते-सोचते शाम हो गयी थी और मेरे घर जाने का वक्त भी हो गया था। मैं घर को जा ही रही थी कि रास्ते में एक गाड़ी वाले ने मुझे टक्कर मार दी। फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ ? मेरी आँख खुली तो मुझे पता चला कि मैं अस्पताल में हूँ और जिससे मैं टकरायी थी, वह एक बहुत ही भला आदमी था जो मुझे इस कलयुग में अस्पताल ले आया वरना आजकल तो लोग मुँह फेर कर चलते बनते है और अगर रूक भी जाते है तो सेल्फी लेने में ही इतने व्यस्त हो जाते है कि भलाई की बात तो सोच ही नहीं पाते।
शिक्षा:- "ऐसी हो पहचान-जिम्मेदार इनसान
निधि राव / VIII
जादुई गाड़ी
एक गाँव में रोहन नाम का एक लड़का रहता था।उसके पिता का नाम रोहित था।उनकी एक दुकान और खेत थे। वह अपनी साईकिल से दुकान जाते थे।एक दिन उसके पिता ने कहा -" चलो बेटे खेत में चलते है।" वह दोनों खेत के लिए निकल पड़े। रास्ते में उनके एक रिश्तेदार वहाँ से गुजर रहे थे,तभी रोहन के पिता ने कहा बेटा यह हमारे रिश्तेदार है और यह एक व्यापारी है,इन्हें प्रणाम करो।रोहन ने उन्हें प्रणाम किया।फिर वह दोनों खेत के लिए निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक गाड़ी खड़ी दिखाई दी।रोहन ने कहा पापा वह देखो एक लाल रंग की गाड़ी खड़ी है।चलो, चलकर देखते है। वह दोनों जाकर देखते है । पिताजी बोलते है-बेटा यह तो हमारी गाड़ी है। दोनों गाड़ी लेकर घर आ जाते हैं। रोहित कहता है - अरे बहुत जोर की भूख लगी है। रोहन जाकर अपनी माँ को कहता है।उसकी माँ खाना लाती है।वह तीनों खाना खाते है और सो जाते है।
अगली सुबह उठकर रोहित गाड़ी को देखकर हैरान रह गया ।गाड़ी हरे रंग की हो गई और उसके ऊपर कुछ रुपए रखे हुए थे।उसने फटाफट वह रुपए एक बोरे में रखे। फिर वहाँ रोहन आया वह बोला पापा यह गाड़ी का रंग बदल कैसे गया? पापा ने बोला - गाड़ी को रंग करवाया है इसलिए, रोहन क्या बात करते हो? शायद यह गाड़ी जादुई हो गई है।तो रोहित लालची हो गया।फिर रोहित जितना चाहता उतने पैसे गाड़ी से माँगता। उसे पता था कि उसका परिणाम बुरा होगा ।परंतु वह लालची हो गया , वह जितने चाहता उतने पैसे गाड़ी से माँगता।एक दिन गाड़ी में से आवाज आई, " रोहित अब सिर्फ पाँच दिन बचे है, इन पाँच दिनों में अगर कुछ भी माँगा तो बहुत बुरा होगा।" रोहित ने सोचा कि यह झूठ बोल रही है।वह जितने चाहता , उतने पैसे गाड़ी से माँगता। इस तरह चार दिनों में रोहित अमीर हो गया। अब उसके घर में किसी भी चीज की कमी नहीं थी। पाँचवे दिन उसके घर की सारी चीजें गायब हो गई। फिर उसको अपनी गलती का अहसास हुआ, परंतु अब कुछ नहीं हो सकता था।
शिक्षा - हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए।
हिमांशु कुमार राय / V
My Hobby
My Hobby is dancing. I have liked dancing since my childhood. I learned to dance from my mother. She also likes to dance and she also participates in dance competitions. It is my hobby and I want to make it my profession too. My mother and my family also agree with me. It doesn't matter if I am happy or sad but I love to dance any time. I want to explore this field and I want to become a great dancer. I want to participate in dance competitions to enhance my dancing skill and make all moves smooth and perfect. When I dance, all my stress goes away. This is the art that I love from the bottom of my heart. It satisfies my mind and soul too. There are various dance types
like — classical dance, contemporary dance, ballet dance, Tap dance, Hip - Hop dance, and more. I like Hip - Hop dance and Classical dance. I am always keen to learn new steps and moves of Hip - Hop dance. I wish I could become a good choreographer and I could have a better future in the field of dancing.
Radhika Parihar / VII
Some Glimpses
Instruction for Sport's Day.
Love for Books.
Great minds at the Discussion!
The flow of time.
Chats never end.
Fine Arts meets Fine Sports
WONDER BOX
Science: A cloud can weigh around a million pounds
S.S.T In the Jhunjhunu district, there is a small town called Mandawa which lies on the silk route to China. The town is home to numerous fabulous Havelis that were built by the merchants. These Havelis serve as open-air art galleries as they are beautifully adorned with paintings of various themes on internal as well as external walls.
The answer to the Riddles
If you’ve got me, you want to share me; if you share me, you haven’t kept me. What am I?
Answer: A secret
ऐसी कौन सी चीज है जिसके पंख नहीं हैं फिर भी वह हवा में उड़ती है?
हाथ नहीं हैं फिर भी वह लड़ती है?
उत्तर – पतंग. पतंग के पंख नी होते फिर भी वो हवा में उरती है.
Jokes
POLICE: Where do you live?
KID: With my parents!
POLICE: Where do your parents live?
KID: With me!
POLICE: Where do you all live?
KID: Together!
POLICE: Where is your house?
KID: Next to my neighbour's house
POLICE: Where is your neighbour's house?
KID: If I tell you, you won't believe me!
POLICE: TELL ME…
KID: Next to my house!
Prince: Judge: ORDER! ORDER! ORDER!
Santa:1 Pizza, 1 Cold drink, 3 dosas, and idli
JUDGE: SHUT UP!
Santa: No! No… Seven up!
Fun Facts and Riddles
What goes up and down but doesn’t move?
मुझे आप खाने के लिए खरीदते है पर मुझे खाते नही। मै क्या हूँ?
Credits
Coordinators: Jaya Bawal, Divyani Rao, Divyanka Ranawat
Reporters: Nalini Kunwar Lisha Soni, Ridhima Ojha, Meenakshi Sirvi, Mansi Chouhan
Photographers: Dhruv Parmar, Lakshya Raj Kanwar, Riya Vaishnav, Jaiwardhan Singh
Creative Writers: Jiyaraje Chouhan, Sanyogita Ranawat, Prachi Rao
Hobbyists: Lavishka Rathod, Divya Rathore, Pooja Sodha, Sanket Solanki, Abhilasha Mansion, Nehpal Singh
Editors: Mohita Solanki, Tanisha Malviya, Lavishka Rathore, Hetal Solanki
Resource Agents: Priya Vaishnav, Divya Rathore, Yuvraj Malawat
Educators in support: Ms. Bharti Rao, Mr. Krishan Gopal, Ms. Prerna Rathod Ms.Khushi Rao, Ms. Shivani Rao, Ms. Richa Solanki
Volume No. 539 Published by The Editorial Board: Mr. Jitendra Suthar, Ms. Jyoti Sain, Ms. Harshita Suthar, Mr. Chatra Ram Choudhary, Mr. Priyadarshan Singh.